नई दिल्ली. मौजूदा दौर में डायबिटीज एक सामान्य बीमारी बन गई है. न सिर्फ बुजुर्गों बल्कि युवाओं तक को ये अपनी चपेट में ले रही है. असंतुलित खान-पान इसके अलावा कई ऐसे कई कारण हैं जो शुगर के मरीजों की संख्या में इजाफा कर रहे हैं. हालांकि डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए बाजार में कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं जिसका सेवन लोग करते हैं लेकिन डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए जामुन की गुठलियों का भी उपयोग किया जा सकता है. आयुर्वेद की मानें तो जामुन की गुठली और डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहतरीन औषधि है.
एक्सपर्ट का मानना है कि जामुन में मौजूद एंटी डायबिटिक एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण व्यक्ति को गंभीर रोगों से दूर रखने में मदद करते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो जामुन का सेवन डायबिटीज और एनीमिया से ग्रस्त मरीजों के लिए रामबाण इलाज है. या ब्लड शुगर लेवल को तेजी से कम करके नियंत्रित करने में मदद करता है.
मधुमेह कंट्रोल करने के लिए सबसे पहले जामुन खाने के बाद ऐसी गुठलियों को एक साथ बर्तन में जमा करना चाहिए. इसके बाद यूट्यूब अच्छी तरीके से धोने के बाद एक साफ कपड़े पर रखकर 3 से 4 दिन के लिए सूरज की रोशनी में सूखने के लिए छोड़ दें. एक जयपुरिया सूख जाए तो उनकी ऊपरी परत की जानी छिलका उतारकर अंदर अरे भाग को दो हिस्सों में तोड़ लें.
इसके बाद इसे कुछ दिन और सूखने के लिए छोड़ दें. जब ये अच्छी तरह से सूख जाए तो इन सूखे हुए बीजों को मिक्सी में पीसकर उसका पाउडर बना लें. यह पाउडर एक डिब्बे में सेवन के लिए रख लें. रोजाना सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में जामुन की गुठली से बने पाउडर का एक चम्मच मिलाकर पिए जामुन का रोजाना सेवन करने से पेट संबंधित समस्याएं दूर होती हैं. इसकी छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेट दर्द और अपच जैसी समस्याएं दूर होती हैं.
क्या आपको पता हैं ज्यादा आम खाने के ये साइड इफेक्ट, पढ़ें यहां
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में जामुन मददगार है. जामुन का सेवन करने से शरीर में खून की कमी भी पूरी होती है. पथरी की समस्या होने पर जामुन की गुठली का पाउडर बनाकर दही में मिलाकर खाने से राहत मिलती है. आयुर्वेद एक्सपर्ट का कहना है कि आयुर्वेदिक औषधि सेहत पर किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं करती है लेकिन फिर भी इस नुस्खे को इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.